माँ , अब तुम उदास हो दिखती...
हम सबको सम्बल देती माँ...
मुस्काती तो अब भी हो तुम
पर माँ, अब तुम उदास हो दिखती...
कल देखी थी वो तस्वीर
जो तुमने 'स्टेटस' में लगाई थी
सब के संग तुम भी मुस्काई थीं..
या कहुँ कि मुस्काने की कोशिश थी!
पर नयन तुम्हारे अक़्सर ही माँ,राज़-ओ-ग़म बयां कर देतें हैं
हँसते-मुस्काते चेहरों में तुम
ग़म छुपाती दिखती माँ...
हाँ, मुस्काती तो अब भी हो तुम
पर माँ, अब तुम उदास हो दिखती...
माँ, ये जो ग़म के अँधियारे हैं न,
बस समय के ही जाये हैं..
सुख-दुःख सब बस जीवन -माया
किसी ने खोया तो किसी ने पाया ..
आँखें तू यूँ नम न कर बीती बातों का ग़म न कर..
आहत मन की मरहम कर..
माना वो अब नहीं रहे, पर
स्नेह-आशीष की छाया उनकी
अब भी हम पर बरसती माँ...
उनके आदर्शों - सिद्धांतों पर चल
आ जीवन सफल करें हम माँ..
थोड़ी कोशिश हम करते हैं..
आ मिल कर हम-सब
ग़म ये सारे बाँट लेते हैं...
खुशियों के ये उजियारे माँ बस अब दूर नहीं हैं..
दो - चार कदम तू चल माँ
कुछ फ़ासला हम तय कर लेंगे..
तू यूँ ही अपनी ममता बरसाना हम तेरी सेवा-पुण्य को अर्जें..
सफर ज़िन्दगी का ये हम
हँसते - गाते तय कर लेंगे..
अब दिन-रात एक न करना तुम..
औरआँखें मत सुजाना तुम
न ही तकिये और भिगोना तुम...
अबकी जब भी मुस्काना तुम,दिल खोल खिलखिलाना भी तुम माँ..
दिल खोल खिलखिलाना भी तुम माँ ...!
- विराट
(Written for my Mother and in fond memory of my beloved father...)
1 comment:
Aptly written
Poignant and moving.
Pain so difficult to describe...
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